मुश्किल शुरुआत: गिल कप्तान बने, बाबू भविष्य की सोचो- आकाश तुम्हारा है

Ajit Chandila
Ajit Chandila

शुभमन गिल ने हेडिंग्ले टेस्ट के पहले ही दिन अपने बल्ले से क्लास दिखाई — शानदार शतक जड़ा। मगर बल्लेबाज़ी के बाद उनकी कप्तानी की असल परीक्षा शुरू हुई। भारत ने दोनों पारियों में कुल पांच शतक लगाए, फिर भी इंग्लैंड से पांच विकेट से हार गई।

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कप्तानी या सिर्फ़ नाम की भूमिका?

मैदान पर ऐसा महसूस हुआ जैसे कप्तान गिल नहीं, बल्कि केएल राहुल और ऋषभ पंत थे। फ़ील्डिंग सेट करने से लेकर बॉलिंग रोटेशन तक— निर्णय कहीं और से आते दिखे। क्या टीम में स्पष्ट नेतृत्व की कमी है?

रणनीति में कमी या अनुभवहीनता?

गिल ने इंग्लैंड के खिलाफ 371 रनों का बचाव करने के लिए रक्षात्मक फ़ील्ड लगाई। लेकिन जसप्रीत बुमराह को सिर्फ़ 13 ओवर और सिराज को केवल 8 ओवर देना समझ से परे था। इससे इंग्लिश बल्लेबाज़ों को खुलकर खेलने का मौक़ा मिला।

फ़ील्डिंग की ढील और गिल की चुप्पी

यशस्वी जायसवाल ने चार कैच छोड़े— यह रिकॉर्ड है। लेकिन सवाल ये है कि जब एक फील्डर लगातार फेल हो रहा है, तो उसे उसी पोजिशन पर क्यों रखा गया? कप्तान का दख़ल कहां था?

नासिर हुसैन और मांजरेकर की मिलीजुली राय

नासिर हुसैन ने कहा, “गिल गेम के पीछे चलते दिखे, उसके आगे नहीं।” वहीं संजय मांजरेकर ने माना कि गिल इंग्लैंड को जाल में फँसाना चाह रहे थे, लेकिन उनके फ़ील्ड प्लान ने आक्रामकता की कमी दिखाई।

कप्तानी की चुनौती: नेतृत्व साझा नहीं होता

कोहली और रोहित के नेतृत्व में एक स्पष्टता थी— मैदान पर आवाज़ उन्हीं की गूंजती थी। गिल को वो आवाज़ बनना होगा। वरना टीम बिखर जाती है और कप्तानी नाम की रस्म बन जाती है।

बॉलिंग, फील्डिंग और निचले क्रम की नाकामी

बुमराह को छोड़ दें, तो बाकी गेंदबाज़ लगातार संघर्ष करते दिखे। टेल-एंड ने दोनों पारियों में सिर्फ़ 9 रन बनाए। ये वो भारत नहीं जो हम जानते हैं।

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“बादल भले हों घने, लेकिन सूरज टीम इंडिया का ही चमकेगा!”

इंग्लैंड की पिचें चुनौती भरी हैं, मौसम अनिश्चित है, और स्विंग करती गेंदें किसी भी बल्लेबाज को चौंका सकती हैं — लेकिन जब बात हो टीम इंडिया की, तो जवाब एक ही है:
“हम हर मैदान को अपना बना लेते हैं!”

इस टूर पर सिर्फ बॉल और बैट का टक्कर नहीं होगा, बल्कि दो क्रिकेट कल्चर की टक्कर होगी — ठंडी हवा बनाम गर्म जज़्बा, स्विंग बॉल बनाम सीधा इरादा, और मेज़बान टीम बनाम मैदान पर मेहमान से ज़्यादा मेहरबान हमारी टीम!”

हम जानते हैं — चुनौती बड़ी है, लेकिन हमारी टीम हर बार यह साबित करती है कि “जब इरादे फौलादी हों, तो सीमाएं नहीं, सिर्फ सीमाएं (boundaries) दिखती हैं।”

चलो लड़कों, हमें सिर्फ मैच नहीं जीतना, एक बार फिर इतिहास लिखना है — विदेशी ज़मीन पर भारतीय धड़कनों की गूंज के साथ!

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